उसको पुलिस पकड़ ले जाए उसको पुलिस पकड़ ले जाए
मैं आज फिर कहीं खो गया, उसको फिर लिखते लिखते मेरा सब्र भी कहीं खो गया ये सब्र मैं आज फिर कहीं खो गया, उसको फिर लिखते लिखते मेरा सब्र भी कहीं खो ...
जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में, जीवन की द्रुत मंझधार में, हिलोरें लेते उफनते ज्वार में,
मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा। मैंने उसको गोली जैसा चलते देखा।
कभी बंद आँखों से कभी खुली आँखों से चुपचाप अकेले में कभी बंद आँखों से कभी खुली आँखों से चुपचाप अकेले में
एक बुरा सा ख्वाब समझ के, उसको भुला रही हूं मैं पीछे ना भागूंगी किसी के, लक्ष्य मैं एक बुरा सा ख्वाब समझ के, उसको भुला रही हूं मैं पीछे ना भागूंगी किसी के, ...